बरेली, उत्तर प्रदेश। आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी का 104वां सालाना उर्स “ उर्से रज़वी ” का आगाज़ परचम कुशाई की रस्म के साथ हो गया। रात में नातिया मुशायरा व हुज्जातुल इस्लाम के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई।
उर्स की सभी रस्में दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की निगरानी में दरगाह परिसर व इस्लामिया मैदान में अदा की जा रही है। नातिया मुशायरा देर रात तक जारी था।
अब तक अमेरिका से गुलाम ज़करानी, नेपाल, साउथ अफ्रीका, मलावी, यूके, बांग्लादेश, श्री लंका के अलावा देश के कोने कोने से ज़ायरीन पहुँच गए है।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि कल आज इस्लामिया मैदान में रज़वी परचम मुख्य गेट पर नसब कर दिया गया।
रज़वी परचम लहराते ही विधिवत उर्स का आगाज़ हो गया। नारे तकबीर अल्लाह हो अकबर, मसलक-ए-आला हज़रत ज़िंदाबाद के नारों के बीच दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) ने अपने दस्ते मुबारक (हाथों) से सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां, सय्यद आसिफ मियां व देश-दुनिया से आये उलेमा की मौजूदगी में परचम कुशाई की रस्म अदा की गई। यहाँ फातिहा के बाद खुसूसी दुआ मुफ्ती ने की।
परचम कुशाई होते ही फ़िज़ा में आला हज़रत की लिखी नात व मनकबत गूँजने लगी।
इससे पहले आजम नगर स्थित हाजी अल्लाह बख्श के निवास फातिहाख्वानी का एहतिमाम हुआ।
लंगर के बाद परचमी जुलूस 4 बजे दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की क़यादत में कुमार टाकीज, इंदिरा मार्केट होते हुए बिहारीपुर के ढाल के रास्ते दरगाह पहुँचे। यहाँ सलामी देने के बाद जुलूस दरगाह से दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की क़यादत में वापिस इस्लामिया मैदान पहुँचे।
बाद नमाज़-ए- मग़रिब महफ़िल-ए-मिलाद हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम नूरी ने पेश की। रात में 10 बजकर 35 मिनट पर आला हज़रत के बड़े साहिबजादे हुज्जातुल इस्लाम मुफ्ती हामिद रज़ा खान (हामिद मियां) के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई।
मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने अपने खिताब में कहा कि शिक्षा के लिए आज प्रचार प्रसार किया जा रहा है लेकिन हुज्जातुल इस्लाम ने 1938 में मुरादाबाद में हुई एक बड़ी कॉन्फ्रेंस में मुसलमानों से अपने बच्चों को तालीम दिलाने पर ज़ोर देते हुए अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत करने का आव्हान किया। विश्व में शांतिवाद व मानवतावाद का पैगाम दिया।
इसके बाद नातिया मुशायरा हज़रत अहसन मियां की सदारत में मुफ़्ती आकिल रज़वी, मुफ्ती सलीम नूरी, मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी, मुफ्ती मोइनुद्दीन, मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम, मुफ़्ती अय्यूब, कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी, मुफ़्ती अनवर अली, मौलाना डॉक्टर एज़ाज़ अंजुम, मौलाना अख्तर की निगरानी में शुरू हुआ जो देर रात तक जारी था।
मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने बताया कि मुशायरा का मिसरा तरही “इधर उम्मत की हसरत पर उधर खालिक की रहमत पर“ शायरों ने अपने-अपने कलाम पेश किये।
मुशायरा की निज़ामत (संचालन) मौलाना फूल मोहम्मद नेमत रज़वी व कारी नाज़िर रज़ा बरेलवी ने किया।
22 सितम्बर (गुरुवार) बाद नमाज़ ए फजिर कुरानख्वानी। सुबह 9ः58 मिनट पर रेहाने मिल्लत व 10ः30 बजे मुफ़स्सिर-ए आज़म के कुल शरीफ की रस्म अदा की जाएगी।
इसके बाद आपसी सौहार्द कॉन्फ्रेंस होगी। उलेमा समाज सुधार, आपसी सौहार्द, देश में बढ़ती हिन्दू-मुस्लिम दूरी के खात्मे पर चर्चा करेगें।
दिन में कार्यक्रम व चादरपोशी का सिलसिला जारी रहेगा। रात में दुनियाभर के मशहूर उलेमा की तक़रीर होगी।
देर रात 01 बजकर 40 मिनट पर मुफ्ती आज़म-ए-हिन्द के कुल शरीफ की रस्म अदा होगी।
दूसरी तरफ जिलेभर से पैदल फूल पेश करने बड़ी तादात में अक़ीदत पहुँचते रहे। जिसमें मुख्य रूप से ठिरिया निजावत खान ,फरीदापुर चौधरी, स्वाले नगर, जसोली, किला, पुराना शहर, फरीदपुर, बाक़रगंज, शाही, शीशगढ़, मीरगंज, फतेहगंज, आंवला आदि से लोग पहुँचते रहे।