डा. निसार अहमद खाँ, सिद्धार्थनगर। चुनाव, चुनाव, चुनाव। सारा खेल जनता के हाथ, चुनाव के एक दो साल पहले से नेता जी पासा फेकते हैं। अपने शब्दों का, पैसों का, अपने हनक का।
चुनाव के मेन टाइम टिकट बटवारे के समय पार्टी टिकट देगी कि नहीं देगी ? यही से शुरू होता है नेताजी के तनाव का सफर। ऐसे में सत्ता की राह को आसान करती हैं कुछ विशेष होम्योपैथिक औषधियां। जिनके बारे में आप को जानना चाहिए।
अगर टिकट भी मिल गया तो किसी और ने दांव खेला तो टिकट भी कट गया। नेताजी अवाक हो गये। फिर जेब में रखी सफेद गोली को जबान पर रखा और उनके बोल बेबाक हो गये। नयी पैंतरे बाजी शुरू हुई और चुनावी सफर के पहलवान हो गये।
जब टिकट पक्का हुआ तो बारी जनता को रिझाने की आयी। सुबह से लेकर देर रात तक जनता को शब्द जाल में फंसाने का अभियान तेज हुआ। लेकिन गले की खिचखिच ने सत्ता की राह में सुपर फास्ट अभियान को ब्रेक लगा दिया। फिर नेताजी ने होम्योपैथी को याद किया और अपनी खिचखिच को दूर किया।
विभिन्न समस्याओं का समाधान होम्योपैथी में-
हैनीमैन होम्योपैथिक मेडिकल कालेज लंदन के शोध गाइड डा0 भास्कर शर्मा ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान भाषण देते देते नेता जी का गला बैठ गया हो अथवा वोटो के गुणा भाग में लगकर आत्म विश्वास में कमी आ रही हो या नींद उड़ गयी हो तो इन सभी समस्याओं का समाधान होम्योपैथी में है।
कुछ विशेष होमियौपैथिक औषधियां तात्कालिक असर के साथ चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को चुनाव जीताने का आसान नुस्खा साबित हो सकती हैं। बातों से वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित, इसके लिए दिन रात सम्पर्क फिर भाषण ऐसे में यदि गला ही बैठ जाय, मंच पर खड़े
होते ही हाथ-पाव कांपने लगे, आत्म विश्वास डिग जाए तो यह स्थितियां उस नेता के सारे प्रयास पर पानी फेर सकती हैं, ऐसे में इन नेताओं को चाहिए कि वे होम्योपैथिक दवा की मीठी गोलियां खायें और जनता को खूब समझायें, भाषण देते-देते यदि गला बैठ गया हो तो भाषण से दो घंटे पहले कोका क्यू की पाँच पाँच बूँद आधे-आधे घंटे पर लेने से गला साफ हो जायेगा तथा आवाज पूरी तरह खुल जायेगी।
अधिक बोलने से स्वर यंत्र की कार्य शक्ति कम हो जाती है। कई बार बोलते समय स्वर भंग हो जाता है। ऐसे में आरम ट्रिफिलियम 30 की कुछ खुराकें फायदेमंद हो सकती हैं । भाषण के दौरान आवाज फंसने लगे तो अर्जेन्टम् मेट 30 की कुछ खुराकें आवाज को ठीक कर सकती हैं । भाषण के पश्चात यदि आवाज भारी हो जाय तो कास्टिकम 30 औषधि फायदा कर सकती है।
चिड़चिड़ापन, घबराहट, बेचैनी एवं आत्मविश्वास की कमी दूर करती है-
चुनाव के दौरान प्रत्याशी जीत के गुणा भाग में लगे रहते हैं। जीत होगी कि नहीं आदि चिन्ता लगी रहती है। इन सब कारणों से प्रत्याशी में चिड़चिड़ापन, घबराहट, बेचैनी एवं आत्मविश्वास के कमी की परेशानी होती है। ऐसे में यदि प्रत्याशी अजेंटम नाइट्रिक की कुछ खुराकें ले लें तो इन परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।
यह दवा आत्मविश्वास बढ़ती है। प्रत्याशी कल की चिन्ता करते हैं कि कल कहाँ से प्रचार शुरू करें, वहां रिसपान्स मिलेगा कि नहीं, मिलेगा तो कैसा मिलेगा इन सब बातों को लेकर यदि आत्मविश्वास की कमी हो तो लाइकोपोडियम की कुछ खुराकें प्रत्याशी को चिन्तामुक्त कर सकती है।
चुनाव के दौरान नेताओं की नींद उड़ जाती है जिससे वह दिन में आलस्य से ग्रसित रहते हैं । बात करते करते सो जाते हैं। ऐसे में नेताओं को पूरी नींद लेनी चाहिए। नींद न आने पर काली फाॅस 6 एक्स कारगर साबित हो सकती है। ठंड के मौसम में एकोनाइट 30 का प्रयोग नींद लाने में मद्दगार साबित हो सकता है। नींद के लिए एलोपैथिक दवांए नहीं प्रयोग करना चाहिए क्योंकि व्यक्ति इन दवाईयों का आदी हो जाता है। जब कि होम्योपैथिक दवाईयों के साथ ऐसा नहीं होता है।
सुस्ती, थकान को दूर करती है-
चुनाव में दिन भर भागदौड से शरीर पस्त हो जाता है। सुस्ती आ जाती है। काम करने की इच्छा नहीं करती है। ऐसे में सुबह जब प्रचार के लिए निकलें तो ऐवेना सटाइवा क्यू की 30 बूँद लेलें। यह आपकी थकान को दूर कर देगी। दिन भर की थकान के बाद यदि शरीर में दर्द हो तो रसटाॅक्स 30 एवं आर्निका 20 की कुछ खुराकें आप के दर्द को छूमंतर कर सकती है।
दिन भर भाषण, बहस, माथा-पच्ची, चिक-चिक एवं मतदाताओं को समझाने में मानसिक थकान आ जाती है। ऐसे में ऐसिड फाॅस 30 एवं फाइब फाॅस 6 एक्स औषधि के प्रयोग से आपका दिमाग तरो ताजा हो जायेगा और आप जनता को बेहतर तरीके से अपने पक्ष में मोड़ सकेगें।
होम्योपैथिक दवाइयां पूरी तरह निरापद हैं तथा इनका प्रयोग ऐहतिहात के तौर पर भी किया जा सकता है। सत्ता में जाने का चुनावी सफर में होम्योपैथिक दवाईयां आपकी हमसफर साबित हो सकती हैं। यह सत्ता की राह को आसान करती हैं।