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बिस्कोहर,सिद्धार्थनगर। पादप संरक्षण कृषि विज्ञान केंद्र सोहना सिद्धार्थनगर के कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि टिड्डी दल की पहचान उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरों से किया जा सकता है।

टिड्डी जब अकेली होती है तो उतनी खतरनाक नहीं होती है। लेकिन झुंड में रहने पर इनका रवैया बेहद आक्रामक हो जाता है। फसलों को एक ही बार में सफाया कर देती हैं। आपको दूर से ऐसा लगेगा मानो आपकी फसलों के ऊपर किसी ने एक बड़ी-सी चादर बिछा दी हो।

टिड्डियां क्या खाती हैं ?

केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ एल सी वर्मा बताते हैं कि टिड्डियां फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सब कुछ खा जाती हैं। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है।

इस तरह से एक टिड्डी दल 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है। टिड्डियों का जीवन काल अमूमन 40 से 85 दिनों का होता है।

टिड्डी दल से बचाव के उपाय-

टिड्डियों का उपद्रव आरंभ हो जाने के पश्चात् इसे नियंत्रित करना कठिन हो जाता है। हालांकि डॉ प्रदीप कुमार ने किसानों को टिड्डी दल से बचने के लिए कई उपाय बताए है। जिनको अपना कर फसल को बचाया जा सकता है।

टिड्डी कीट जहां इकट्ठा हों वहां उसे फ्लेमथ्रोअर से जला दें। टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाड़े, लाउटस्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं। जिससे वे आवाज सुनकर खेत से भाग जाएं और अपने इरादों में कामयाब न हो पाएं।

टिड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे दिये हों वहां 25 कि.ग्रा 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस को मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें। टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 कि.ग्रा धान की भूसी को 0.5 कि.ग्रा फेनीट्रोथीयोन और 5 कि.ग्रा गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दें।

इसके जहर से वे मर जाते हैं। टिड्डी दल सवेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है। इसलिए इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस का छिड़काव करें।

500 ग्राम एनएसकेई या 40 मिली नीम के तेल को 10 ग्राम कपड़े धोने के पाउडर के साथ या फिर 20-40 मिली नीम से तैयार कीटनाशक को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से टिड्डी दल फसलों को नहीं खा पाते हैं।

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