राजेश शास्त्री। इटवा, सिद्धार्थनगर। शासन सत्ता में सभी वर्गों की भागीदारी न होने के कारण ही हमारे दश के तीन टुकड़ हुए और धन हानि भी काफी हआ। आजादी के पहले देश में दलितों एवं गरीब तबके के लोगों तथा अल्पसंख्यकों की दशा क्या थी यह बात किसी से छिपी नहीं है। लोगों को मौलिक अधिकार नहीं मिला था। हमें आपस में समन्वय की भावना बनाने की जरूरत है।
हमें आपस में समन्वय की भावना बनाए रखना है-रवि प्रताप
उक्त बातें अर्जक संघ के पूर्व जिला संयोजक रवि प्रताप चौधरी ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में रविवार को कही। उन्होंने आगे लिखा है कि आजादी किस तरह से हमें मिली है। इसका हमें अब पूर्ण रूप से ज्ञान हो गया है।
आपस में समन्वय की भावना न होने से आपसी कटुता एवं वैमनस्यता इस कदर बढ़ी कि आजादी के 74 वर्षों के बाद भी उसे दूर नहीं किया जा सका।
आज भी लोग नेताओं के अंधभक्ति में मांसिक तौर पर गुलाम बने हुए हैं। ऐसा ही अंग्रेजों के समय के कुछ लोग कर रहे थे।
श्री चौधरी ने आगे लिखा है कि भारत में कुछ ही व्यक्तित्व बचा था जिसके कारण भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार की बात की गई।
ऐसी दशा में यदि सरकार संविधान के मौलिक अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करे तो संभव है कि इससे आम जनमानस लाभान्वित भी होगा।
हमारे देश में एक अच्छे लोकतन्त्र की स्थापना होगी। एक विकसित एवं मजबूत भारत का निर्माण भी हो सकेगा।