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डा. निसार अहमद खाँ। सिद्धार्थनगर। तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव का होना मौसमी बीमारियों का कारण बन रहा है। तापमान में उतार-चढ़ाव से लोगों को सर्दी-जुकाम, फीवर, गले में जकड़न के साथ बदन दर्द की समस्या उत्पन होती है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में वायरल फीवर कहा जाता है।

जानें वायरल फीवर से बचाव और सावधानियां

सामुदायिक स्वास्थ्या केन्द्र इटवा के चिकित्सक डा. संजय गुप्ता-

सामुदायिक स्वास्थ्या केन्द्र इटवा के चिकित्सक डा. संजय गुप्ता ने बताया कि वायरल फीवर एक संक्रामक बीमारी है। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है यह वायरस जनित बीमारी है। यह वायरस से फैलता है। इस बीमारी में बुखार के साथ तेज सिर दर्द, जुकाम, सिर भारी हो जाना आदि होता है। यह बीमारी कभी कभी आगे चलकर खांसी में बदल जाता है।

लगभग एक सप्ताह के अंदर वायरल फीवर से संक्रमित व्यक्ति ठीक हो जाता है। वायरल फीवर से प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति आता है तो उसे भी वायरल फीवर हो जाता है। लोग ठीक होते रहते हैं। यह चक्र चलता रहता है।

वायरल फीवर की तरह से अन्य बुखार जैसे टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू, दिमागी बुखार के शुरुआती लक्षण एक जैसे होते हैं। ऐसे लक्षण आने पर निकट स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करके डॉक्टर से दवा लेनी चाहिए।

उन्होंने आगे बताया कि ऐसे लोगों को खान पान में परहेज रखना चाहिए। मच्छर से बचना चाहिए। बुखार कई दिन रहने पर चिकित्सक से मिलकर मलेरिया की जांच करवानी चाहिए।

पाठकों से सुझाव आमंत्रित है-

वायरल फीवर से सम्बंधित अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो हमें भेजिए।

आप अपना स्वास्थ्य सम्बंधी सवाल भेजिए। विशेषज्ञ चिकित्सक से पूछ कर आपको जवाब दिया जाएगा।

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