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इटवा,सिद्धार्थनगर। कोरोना वायरस एक सूक्ष्म जीव है। कोरोना वायरस के संक्रमण से जुकाम होता है। सांस लेने में परेशानी होती है। कोरोना वायरस का संक्रमण दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। बैक्टीरिया और वायरस से पैदा होने वाली तमाम बीमारियों के समान ही इसकी उत्पत्ति भी जीवों के अंदर से ही हुई है। और बुहान में सी फूड बाजार से हुई है। कोरोना वायरस के इलाज में होम्योपैथी की दवाईयां सक्षम हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस के इलाज में सावधानी ही सबसे बडा बचाव है।

कोरोना वायरस का लक्षण और प्रभाव तथा उपाय-

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डधारी विश्व प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक व विभागाध्यक्ष मटेरिया मेडिका विभाग हनीमैन कॉलेज आफ होम्योपैथी यूके लंदन तथा सलाहकार प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय रांची, झारखंड डॉ भास्कर शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस मनुष्य के शरीर में पहुंच कर उसके फेफडे को संक्रमित करता है।

जब फेफडा संक्रमित हो जाता है तो बुखार आता है। सूखी खांसी आती है। सांस लेने में तकलीफ होती है। किसी किसी को लक्षण प्रकट होने में औसतन चार से पांच दिन लग जाता है। प्रारम्भ में सर्दी और और फ्लू की तरह का लक्षण भी हो सकता है।

डॉ शर्मा ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रभाव सबसे अधिक वृद्धों को, अस्थमा वाले मरीजों को, मधुमेह के मरीजों को, हृदय रोगी को होने की संभावना रहती है। कारण है उक्त मरीजों के अन्दर रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित रहती है।

ऐसे मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए। ताकि व्यक्ति का शरीर खुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए। कोरोना वायरस ठंडे, शुष्क मौसम में फैलते हैं। यहां का मौसम वायरस को भी फैलने से रोक सकता है।

बच्चों को कोरोनावायरस से बचाने के-

डॉ भास्कर शर्मा ने कोरोना वायरस के इलाज पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बच्चों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए यह भी कहा कि इस मौसम में बच्चों के भोजन में सूखे मेवे, फल, दूध देना चाहिए। यह भोजन बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

बच्चों के शरीर में तेल की मालिश करके धूप में बैठाएं। ऐसा करना बच्चों के लिए फायदेमंद है। डॉ शर्मा ने यह भी बताया कि बदलते तापमान पर विशेष नजर रखें। क्योंकि सर्दी, जुकाम और गले में इंफेक्शन से छोटे बच्चों को काफी परेशानी होती है।

बच्चों को सुबह में ठंड से बचाएं-

ऐसे में जरूरी हो जाता है कि बच्चों को सुबह में ठंड से बचाया जाए। आगे डॉ भास्कर शर्मा ने बताया कि सुबह की ठंड से बच्चों को बचाने के लिए बहुत ज्यादा कपड़े लादने की बजाय, उनका तलवा, उनकी हथेली और उनके कान व सिर ढक कर रखें, क्योंकि शरीर के इन्हीं भागों में सबसे अधिक ठंड लगकर बीमारी का कारण बनता है।

बच्चो को टोपी, दस्ताना, मोजा पहनाएं। धूप में बैठाएं। अच्छी धूप से विटामिन डी मिलता है। अधिक ठंड होने पर गर्म पानी में तौलिया भिगोकर बच्चों के शरीर को साफ करदें। नहलाने से पहले हल्का गर्म तेल की मालिश करें। मौसम के हिसाब से खाने के लिए फल दे सकते हैं।

संक्रमित लोगों से दूर रहें, यात्रा न करें-

डॉ भास्कर शर्मा ने आगे यह भी बताया कि अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो आपको कुछ दिनों के लिए खुद को दूसरों से दूर रहने की सलाह दी जा सकती है। डॉ भास्कर शर्मा ने आगे यह भी बताया कि भारत देश में ग्रामीण मजदूरों का पलायन का दर बहुत अधिक है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 45 करोड लोगों ने बेहतर रोजगार की तलाश में अपने घर छोड़े थे।

ऐसे में भारतवासियों से अपील है कि अपनी जान जोखिम में न डालें। भारत एक बहुत बड़ी कंट्री है और भारत में स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत बेहतर है। यहां पर चिकित्सा विशेषज्ञों की भरमार है। आप सभी से एक विशेष अपील है कि आप चीन, इटली, ईरान, कोरिया, फ्रांस, स्पेन यूके अमेरिका और जर्मनी अभी न जाएं।

लापरवाही जानलेवा हो सकती-

डॉ भास्कर शर्मा का कहना है कि इस वायरस की चपेट में आने के बाद लापरवाही जानलेवा हो सकती है। इस वायरस का पता आसानी से लगाया जा सकता है। बुखार आने पर, जुकाम होने, सिर दर्द होने, मांसपेशियों में दर्द होने या सांस लेने में परेशानी होने पर लापरवाही न करें। किसी योग्य चिकित्सक से दिखा कर दवा लें। कोरोना वायरस के इलाज में लापरवाही जानलेवा हो सकती है।

चिकित्सक के परामर्श से यह औषधियां प्रयोग की जा सकती हैं-

डॉ भास्कर शर्मा ने कोरोना वायरस से बचने के लिए होम्योपैथी की सॉरीनम, एडॉप्टा जस्टिसिया, एकोनाइट, आर्सेनिक, औरमट्राई फीलियम, कैंफर, कार्बोवेज, नक्स वॉमिका, बैक्टीसिया, पैट्रोलियम, ब्रायोनिया, यूपाटोरियम परफोलिएटम, सल्फर, बेलाडोना आदि होम्योपैथिक औषधियों का प्रयोग लक्षण के अनुसार किया जा सकता है।

सावधानी बरत कर बचें-

आगे डॉ शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस से बचाव को कोई खास तरीका अभी तक नहीं है। सिर्फ सावधानी बरत कर हम इससे बच सकते हैं। जैसे- खांसते और छींकते वक्त अपना मुंह और नाक ढंक कर रखें, अगर किसी शख्स को खांसी-जुकाम है तो उससे एक मीटर की दूरी से बात चीत करें।

मछली, मांस और अण्डा को खूब अच्छी तरह से पकाएं। जानवरों के पास बैठकर भोजन न करें। न उनके पास सोएं। अपना हाथ साबुन से साफ करें या हैण्डवाश से साफ करें। गन्दे हाथों से भोजन कदापि न करें। जिनको सर्दी या फ्लू जैसा लक्षण हो उनके साथ करीबी संपर्क न बनाएं। जंगली और पालतू जानवरों से दूरी बना कर रखें।

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