सिद्धार्थनगर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिद्धार्थनगर ने ग्राम न्यायालय के प्रचार प्रसार व उपभोक्ता फोरम और उपभोक्ताओं के अधिकारों के बारे में तथा स्थायी लोक अदालत के प्रचार प्रसार हेतु विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन तहसील इटवा के सभाकक्ष में शुक्रवार को किया गया।
विशेष जागरूकता शिविर Special Awareness Camp
यह कैम्प अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश/पूर्णकालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिद्धार्थनगर मनोज कुमार तिवारी द्वारा सम्पन्न कराया गया। इस विशेष जागरूकता शिविर में नामिका अधिवक्ता सन्तोष कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ अधिवक्ता हकीकुल्लाह, वरिष्ठ अधिवक्ता आज्ञा प्रसाद त्रिपाठी, वरिष्ठ अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमनारायण श्रीवास्तव व अन्य विद्वान अधिवक्तागण तथा आमजन उपस्थित रहे।
विशेष जागरूकता शिविर Special Awareness Camp में वक्तागणों द्वारा उपस्थित आमजन को ग्राम न्यायालय (Village Courts) उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में न्यायिक व्यवस्था को सुलभ और त्वरित बनाने के उद्देश्य से स्थापित किए गए हैं। यह न्यायालय मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-मोटे विवादों को सुलझाने के लिए बनाए गए हैं, ताकि आम जनता को न्याय मिलने में समय और संसाधनों की बर्बादी न हो। 2008 में भारतीय संसद द्वारा पारित “ग्राम न्यायालय अधिनियम” ( Gram Nyayalayas Act) के तहत यह व्यवस्था लागू की गई। उत्तर प्रदेश में यह अधिनियम प्रभावी रूप से लागू किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल और सुगम बनाना है।
इसके साथ ही साथ उपस्थित आमजन को उपभोक्ता फोरम और उपभोक्ताओं के अधिकारों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया गया कि भारत में उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए विभिन्न कानूनी और संस्थागत उपाय किए गए हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 और इसके तहत स्थापित उपभोक्ता फोरम की प्रमुख विशेषताएँ हैं। उपभोक्ता फोरम एक कानूनी मंच होता है, जहाँ उपभोक्ता अपनी शिकायतों को दर्ज कर सकते हैं और उपयुक्त समाधान प्राप्त करा सकते हैं।
उपभोक्ता विवाद निवारण मंच के तहत यह प्रणाली स्थापित की गई है। जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत कार्य करती है। यह फोरम तीन स्तरों पर कार्य करता है।
1. जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच- यह मंच उपभोक्ताओं के छोटे विवादों का निवारण करता है। जहाँ दावा राशि 01 करोड़ रुपये तक होती है। 2- राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग- जब जिला फोरम में समाधान नहीं मिलता या उपभोक्ता को संतोषजनक निर्णय नहीं मिलता, तो वह राज्य आयोग में अपील कर सकता है। यहाँ दावा राशि 01 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। 3- राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग- यह आयोग सबसे उच्चतम स्तर पर कार्य करता है और इसका दायरा पूरे देश के उपभोक्ताओं को कवर करता है। यहाँ 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक के मामलों की सुनवाई की जाती है।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थायी लोक अदालतों की स्थापना से यहां के नागरिकों को न्याय प्रणाली में अधिक आसानी और सुलभता मिल रही है। जनपद सिद्धार्थनगर में 2021 से स्थायी लोक अदालतों का प्रमुख उद्देश्य न्याय की प्रणाली को और अधिक सुलभ, सस्ता और त्वरित बनाना है। इन अदालतों का कार्य पारंपरिक न्यायालयों से अलग होता है। यहां विवादों का समाधान मध्यस्थता और सुलह के माध्यम से किया जाता है। जिससे दोनों पक्ष बिना किसी कठोर न्यायिक प्रक्रिया के अपने विवादों का समाधान आपसी समझ से करा सकते हैं।
ये अदालतें मुख्यतः सार्वजनिक सेवाओं, उपभोक्ता मामले, रेलवे दुर्घटनाएँ, सड़क दुर्घटनाएँ, वाणिज्यिक विवाद और अन्य नागरिक विवादों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। स्थायी लोक अदालतों में कार्यवाही लंबी और जटिल नहीं होती। यहां पर आमतौर पर एक या दो बैठक में विवाद का समाधान किया जाता है। यह अदालतें एक न्यायिक अधिकारी और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित होती हैं, जो मध्यस्थता और सुलह के माध्यम से मामलों का समाधान करते हैं।