सिद्धार्थनगर। केंचुआ खाद किसानों के लिए है लाभदायक, केंचुआ को कमाऊ पूत बना कर लाभ लें। यह प्रकृति का एक अमूल्य जीव जो सभी अमीर गरीब किसानों के खेतों में पाया जाता है। इसी लिये किसानों ने केंचुआ को अपना हलवाहा माना है। पर अब यह किसानों का कमाऊ पूत हो गया है।
किसान भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना मनरेगा का लाभ उठाते हुए अपने खेतों में केंचुआ पाल कर इसके खाद से फसल को मुनाफेदार बनाते हुए इसको व्यवसाय के रूप में अपना कर आर्थिक सम्मपन्नता की ओर बढ़ सकते हैं।
केंचुआ से उत्पन्न खाद को वर्मी कम्पोस्ट खाद या केंचुआ खाद कहा जाता है। केंचुआ के विष्ठा को वर्मी कम्पोस्ट कहते हैं। केंचुआ मिट्टी में उपलब्ध जैविक घटकों को ह्यूमस में बदल देता है। केंचुआ को अर्थवर्म भी कहते हैं।
खण्ड विकास अधिकारी इटवा केंचुआ खाद के विषय में बताते हैं-
इस खाद में साधारण मिट्टी में उपलब्ध तत्वों से दो गुना अधिक मैग्नीशियम, पांच गुना अधिक नत्रजन, सात गुना अधिक फासफोरस, ग्यारह गुना अधिक पोटाश के अतिरिक्त पौधों को तुरन्त प्राप्त होने वाले पानी में घुलनशील कई पोषक तत्व पाये जाते हैं।
केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) से लाभ-
केंचुआ खाद के प्रयोग से कई लाभ प्राप्त होते हैं-
01. यह खाद कठोर भूमि को मुलायम कर देती है। भूमि में हवा का संचार अधिक होता है।
02. मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता में 35 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है।
03. इस खाद में उपलब्ध पोषक तत्व तुरन्त पौधों तक पहुंचते हैं।
04. इस खाद के प्रयोग से मिट्टी का कटाव रुकता है।
05. वर्मी कम्पोस्ट खाद के प्रयोग से रसायनों, रासायनिक खादों की बचत होती है। रासायनिक खादों के अधिक प्रयोग से उत्पन्न होने वाले दुष्परिणामों से बचने के साथ धन की भी बचत होती है।
इटवा विकास खण्ड के मनरेगा का सुझाव-
गांव का कोई भी व्यक्ति मनरेगा योजना से वर्मी कम्पोष्ट का बेड लगा सकता है। यह एक डिमांड बेस कार्य है। मनरेगा में कार्य करने के लिये जाब कार्ड होना अनिवार्य है।
अपने ग्राम प्रधान और सचिव से मिल कर जाब कार्ड बनवायें। ग्राम सभा की खुली बैठक में कार्य योजनाबना कर इसे शामिल करने का प्रस्ताव दें। प्रस्ताव पास होने के बाद गड्ढ़ा बना कर केंचुआ डालें। मनरेगा योजना से उन्हें निर्धारित मजदूरी दी जायेगी।