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M.A. M.J.M.C. विगत 20 वर्षाें से पत्रकारिता क्षेत्र से जुडकर समाचार संकलन, लेखन, सम्पादन का कार्य जारी है। शिक्षा, राजनीति व ग्रामीण पत्रकरिता पर विशेष रिपोर्टिंग।

सिद्धार्थनगर। भारतीय संविधान से हमारे देश को लोकतंत्रात्मक गणराज्य की मान्यता मिली है। हम नागरिकों के लिए यह बहुत बड़ी शक्ति है। हमारे संविधान की धारा 19(1) के तहत प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी मिली है। इसी संविधान से हमको Right to Information Act 2005 या सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 मिला है। आरटीआई हम नागरिकों को सरकार से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है। यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़ कर सम्पूर्ण भारत में लागू है।

आरटीआई अर्थात जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 और इसकी उपयोगिता को आइए जानें प्रश्न उत्तर के माध्यम से –

सवाल- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का क्या उद्देश्य है ?

जवाब- सरकारी कार्यों में पारदर्शिता आए, सरकार और उसके अंग से सवाल पूछा जा सके।

सवाल- इसका उपयोग कैसे करें ?

जवाब- कोई भी भारतीय नागरिक जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) के अंतर्गत आवेदन प्रेषित कर सूचना की मांग कर सकता है।

सवाल- सूचना न मिले या गोलमाल मिले तो क्या करें ?

जवाब- आवेदक के सूचना मांगने के 30 दिनों के उपरांत जनसूचना अधिकारी द्वारा सूचना न देने पर आरटीआई की धारा 19(1) के अंतर्गत प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील एवं आपत्ति प्रेषित कर सूचना दिलाए जाने का अनुरोध कर सकता है।

अगर प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा 45 से 60 दिन के अंदर सूचना न दिए जाने पर आवेदक RTI आरटीआई की धारा 19(3) के अंतर्गत राज्य सूचना आयोग को द्वितीय अपील प्रेषित कर सूचना का अनुरोध कर सकता है।

सवाल- प्रदेश सरकार ने इसमें क्या नया संशोधन किया है ?

जवाब- सरकार द्वारा 3 दिसंबर 2015 को इसे संशोधित कर नियमावली लागू किया गया है। इसमें मुख्य बिंदु यह है कि आवेदक द्वारा बहुसंख्यक एवं व्यापक सूचना न मांगी जाए जिससे कि सरकारी कामकाज में बाधा उत्पन्न हो। अगर आवेदक द्वारा ऐसा किया किया जाता है तो नियमावली 2015 की धारा 4(2) ख 5 के अंतर्गत निस्तारित या खारिज कर दी जाएगी।

सवाल- नामित जनसूचना अधिकारियों में से अधिकतर लोग इसे वसूली का जरिया क्यों कहते हैं ?

जवाब- लोगों को इसके विषय में सही जानकारी न होना इसका मुख्य कारण है। इसके अलावा सूचना न देने वाले भ्रष्ट अधिकारी यह जानते हैं कि सूचना मांगने वाला आवेदक इस अधिनियम के विषय में ज्यादा जानकार नहीं है। इस लिए आवेदक को डरा धमकाकर, प्रलोभन देकर समझौता कर लिया जाता है। उल्टे यह प्रचारित कर दिया जाता है कि लोग वसूली के लिए सूचना मांगते हैं। जबकि इसका उद्देश्य सरकारी कार्याें में पारदर्शिता लाना एवं शिक्षित व्यक्ति तक सूचनाएं पहुंचाना है।

सवाल- क्या सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 का उद्देश्य सफल हो रहा है ? 

जवाब- हां, सूचना के अधिकार अधिनियम का उद्देश्य पूर्ण रूप से सफल हो रहा है। बहुत सी काम की सूचनाएं लोगों को जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 से मिल रही है।

सवाल- एक सफल आरटीआई कार्यकर्ता कैसे बनें-

जवाब- अपने अंदर जिज्ञासा उत्पन्न करें। अपने आसपास नजर रखें। सरकार द्वारा जन कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को बारीकी से देखें और समझें कि इन योजनाओं से पात्र लाभार्थी को कितना लाभ हुआ है।

किसी योजना के तहत किए गए कार्य को छुपाए जाने पर या किसी गड़बड़ी की संभावना होने पर सम्बंधित जनसूचना अधिकारी से उसके विषय में सूचना मांगे।

ईमानदार और निर्भीक बनें। सीखते रहने की आदत डालें। इस प्रकार एक सफल आरटीआई कार्यकर्ता बनकर देश के विकास में सहयोग दे सकते हैं।

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