M.A. M.J.M.C. विगत 20 वर्षाें से पत्रकारिता क्षेत्र से जुडकर समाचार संकलन, लेखन, सम्पादन का कार्य जारी है। शिक्षा, राजनीति व ग्रामीण पत्रकरिता पर विशेष रिपोर्टिंग।

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थनगर जनपद का विकास खण्ड खुनियांव पंचायत भवन में कम्प्यूटर पर गेटवे स्टाल स्थापित करने में सबसे पीछे है। यहां 17 ग्राम पंचायतों के पंचायत भवन में कम्प्यूटर पर गेटवे स्टाल स्थापित नहीं हो पाया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायतों के विकास कार्य को गति देने के लिए पंचातयत भवनों की स्थापना किया। पंचायत सहायक की नियुक्ति किया। पंचायत भवन में कम्प्यूटर स्थापित करने का निर्देश दिया है।

जानकारी के अनुसार जिला पंचायत राज अधिकारी सिद्धार्थनगर ने शनिवार को सम्बंधित सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दो कार्य दिवस के भीतर पंचायत भवन में कम्प्यूटर पर गेटवे स्थापित करने का निर्देश दिया है। आगे यह भी कहा कि यदि दो कार्य दिवस के भीतर कम्प्यूटर पर गेटवे स्थापित नहीं हुआ तो विभागीय कार्यवाही की जाएगी।

जिला पंचायत राज अधिकारी सिद्धार्थनगर के द्वारा जारी किए गए नोटिस पर नजर डालें तो विकास खंड खेसरहा का 2 ग्राम पंचायत बसडीला ओर अरजी, विकास खंड इटवा का 2 ग्राम पंचायत परसा और खडसरी, विकास खंड बढ़नी का 2 ग्राम पंचायत मानपुर तथा मटियार उर्फ भुतहवा, विकास खंड शोहरतगढ़ का 2 ग्राम पंचायत रमवापुर तिवारी और टडिया, विकास खंड लोटन का 2 ग्राम पंचायत बस्तिया तथा करूवावल कला, विकास खंड जोगिया का 1 ग्राम पंचायत बैरवा नानकार, विकास खंड खुनियांव में 117 ग्राम पंचायतें हैं। जिनमें 96 में पंचायत भवन में कम्प्यूटर स्थापित हैं।

सहायक विकास अधिकारी पंचायत जितेंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि 4 ग्राम पंचायतों के लिए कम्प्यूटर क्रय कर लिए गए हैं। शेष 17 ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर स्थापित करने के लिए ग्राम प्रधानगण को कहा गया है। ग्राम प्रधानगण का पूर्ण सहयोग न मिल पाने के कारण कार्य पीछे हुआ।

वह 17 ग्राम पंचायत जिनके पंचायत भवन के कम्प्यूटर पर गेटवे स्टाल स्थापित नहीं है। उनमें सेमरी, महुआ पाठक, परसा, बेनीपुर नान कार, लोहटा मय पिपरा खुर्द, बभनी माफीया, सेखुइया, महुआ खुर्द, सिहुनिया, खरदेवरी, नवेल, टेंउवा ग्रांट, फरेंदा, बिडरा, धोबहा एहतमाली, हरिजोत, जोकइला शामिल हैं।

इस प्रकार देखा जाए तो सबसे अधिक ग्राम पंचायत खुनियांव विकास खंड में पीछे हैं। जहां पर कंप्यूटर पर गेटवे स्थापित नहीं हुआ है। जिनसे विकास कार्य तो प्रभावित होगा ही, गांव में कराए गए विकास कार्य का डाटा ऑनलाइन फीड नहीं हो पाएगा।

इसके अलावा मनरेगा मजदूरों के मजदूरी की धन निकासी भी नहीं हो पाएगी। बताया जाता है कि सचिवों के कई बार कहने के बाद भी ग्राम प्रधानों द्वारा विशेष रुचि न लेने के कारण पंचायत भवन में कंप्यूटर पर गेटवे स्थापित नहीं हो पाया है।

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