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टेलीविजन की दुनिया में नंबर वन का दबदबा कायम रखने के फर्जीवाड़े का खुलासा मुंबई पुलिस ने कर दिया। मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी समेत तीन चैनलों पर पैसे देकर टीआरपी खरीदने का दोषी पाया। इस मामले में मुंबई पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया। जिनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत कार्रवाई की जाएगी

मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा के रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनल ने टीआरपी में छेड़छाड़ के लिए लोगों को पैसे दिया जिस के संबंध में BARC (Broadcast Audience Research Council) ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसी आधार पर मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच किया। पुलिस का कहना है कि BARC ने देश भर में लगभग 30,000 से ज्यादा बैरोमीटर लगाया है। मुंबई में लगभग 2000 मीटर लगे हैं। इनके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी हंसा नामक एक एजेंसी को दिया गया था। यह एजेंसी पैसे लेकर टीआरपी से छेड़छाड़ कर रही थी।

टीआरपी जिसका पूरा नाम Television Rating Point (TRP) टेलीविजन रेटिंग पॉइंट है-

टीआरपी Television Rating Point (TRP) किसी भी टीवी चैनल के बारे में उसकी लोकप्रियता नापने का एक पैमाना है। इससे यह पता चलता है कि कितने समय तक कोई टीवी चैनल लिया उसका शो देखा गया। इस रेटिंग के आधार पर किसी भी टीवी चैनल या उसके शो का विज्ञापन तय होता है। इसे एक तरह से टेलीविजन का रिव्यू कहा जा सकता है। कुछ रिपोर्ट की मानें तो देश में लगभग सालाना 34000 करोड रुपए के टेलीविजन विज्ञापन का मार्केट है। इस विज्ञापन को हासिल करने के लिए टीवी चैनल आपस में भिडते हैं। अपनी टीआरपी बढ़ा कर अधिक से अधिक विज्ञापन बटोरना चाहते हैं।

अब टीवी चैनल की टीआरपी पर बात करें तो न्यूज चैनल में टीआरपी के रेटिंग में रिपब्लिक टीवी बीते कुछ हफ्तों से शीर्ष पर बना हुआ था। उसने आज तक चैनल की 15 साल की नम्बर वन बने रहने के दबदबे को छीन लिया था। रिपब्लिक की रेटिंग को देखकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे। मुंबई पुलिस का बयान आया कि टीआरपी को लेकर हेरा फेरी में रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल शामिल हैं जिन पर यह हेराफेरी का आरोप लगा।

कैसे तय होता है टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट-

टेलीविजन रेटिंग पॉइंट अर्थातTelevision Rating Point (TRP) को तय करने के लिए सेम्पलिंग का सहारा लिया जाता है। यह आंकड़ा बिल्कुल सौ प्रतिशत सही नहीं होता। बल्कि एक अनुमान पर आधारित होता है। भारत में कितने घरों में टीवी है और कौन सा व्यक्ति कब किस टीवी चैनल या उसका शो देख रहा है, इसका पता लगाना तो कठिन कार्य है। परंतु इसके लिए देश के विभिन्न भागों में सैम्पलिंग की जाती है। इसके लिए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल बीएआरसी ने देश भर में लगभग 30,000 से ज्यादा बैरोमीटर लगाया है। इनके द्वारा आंकड़ा एकत्र किया जाता है। जो भी आंकड़ा इनको मिलता है उसी के आधार पर टीआरपी तय की जाती है। बैरोमीटर से यह पता चल सकता है कि किसी घर में कौन सा टीवी चैनल या उसका शो चल रहा है।

फेक टीआरपी और उसकी उसके सजा का प्रावधान-

जैसा कि मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने अपने प्रेस कान्फ्रेंस में है टीआरपी का जिक्र करते हुए बताया कि मुंबई पुलिस के खिलाफ दुष्प्रचार भी किया जा रहा था। एक प्रोपेगंडा चल रहा था मुंबई पुलिस के खिलाफ। उन्होंने पीसी में कहा कि पैसे देकर टीआरपी को बढ़ाया जा रहा था। इसलिए पुलिस ने संबंधित मामले में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत कार्रवाई का आदेश दिया है। आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज होगा और दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 7 साल की सजा हो सकती है। इसके साथ ही जुर्माना भी लग सकता है।

इसके अलावा धारा 409 के तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है। यह धारा गंभीर है। क्योंकि यह गैर जमानती धारा है। लोकसेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी तथा अभिकर्ता द्वारा विश्वास का अपराधिक हनन करने पर धारा 409 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। अधिकतम 10 साल और जुर्माने की सजा हो सकती है।

रिपब्लिक टीवी ने इन तमाम आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उसका कहना है कि मुंबई पुलिस उस पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। सुशांत सिंह मामले में उनसे सवाल किए थे।

Article posted by Dr. Nisar Ahmad Khan

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