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इटवा, सिद्धार्थनगर। न लेखा जोखा और न खाता बही सही। 2,69,148 रूपया निकल गया गांव में कुछ काम का पता नही। मई महीने में जब कोविड का लॉकडाउन चल रहा था। स्थानीय विकास खण्ड के ग्राम पंचायत रसूलपुर में 2,69,148 रूपया विभिन्न मद में पैसा निकल गया।

न लेखा जोखा और न खाता बही सही। 2,69,148 रूपया निकल गया गांव में कुछ काम का पता नही

ग्राम पंचायत रसूलपुर

जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत रसूलपुर में मई महीने में 2,69,148 रूपया निकाला गया है। अपलोड किए गए पेमेंट बाउचर डिटेल में 08 मई 2021 को फर्म के नाम 36590 रूपया का भुगतान किया गया है।

उसके बाद 22 मई 2021 को व्यक्ति, ब्रिक फील्ड और फर्म के नाम का भुगतान दिखाया गया है। भट्ठा से 9975 रू. का ईंट खरीदा गया है। ईंट से कौन सा निर्माण कार्य हुआ इसका कुछ पता नहीं है।

एक व्यक्ति को दो बार में 35,921 रूपया भुगतान किया गया है। एक फर्म को तीन बार में 1,86,662 रूपया का भुगतान किया गया है। कुल मिला कर 2,69,148 रूपया सरकारी धन निकल चुका है।

गांव के जागरूक लोगों का कहना है-

गांव के जागरूक लोगों का कहना है कि 2,69,148 रूपया का सरकारी धन निकल चुका है। इस समय ग्रामसभा की सृजन प्रक्रिया चल रही थी। प्रशासक के रूप में सचिव ग्रामसभा का कार्य देख रहे थे। निकाले गए उक्त धन के सम्बंध में पादर्शिता नहीं दिख रहा है। इसमें जमकर भ्रष्टाचार कर के सरकारी धन का बंदरबाट किया गया है।

जब गांव में प्राथमिक विद्यालय जहां बूथ बना था, सामुदायिक शौचालय आदि को देखा गया। ग्रामवासियों से पूछा गया कि मई महीने में कोई कार्य हुआ कि नहीं हुआ है।

चुनाव के दिन बूथ पर क्या खर्च हुआ था। ग्रामवासियों ने नाम न छापने के शर्त बताया कि मई महीने में ईंट से कोई कार्य नहीं हुआ है। मतदान के दिन बूथ पर टेंट लगाने वाला लगभग बारह सौ रूपया ले गया था।

पूर्व प्रधान ने बताया-

पूर्व प्रधान ने बताया कि सामुदायिक शौचालय, विद्यालय आदि की मरम्मत, टायल्स का कार्य मेरे द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में करवाया गया था।

सबसे अधिक चौंकाने वाली बात तब आयी सामने-

सबसे अधिक चौंकाने वाली बात तब सामने आयी जब इस सम्बंध में सचिव अशोक कुमार से पूछा गया कि गांव वालों द्वारा बताया कि मई महीने में 2,69,148 रूपया निकला गया है। परन्तु खर्च कहां किया गया है। तो इस पर सचिव ने बताया कि मुझे कुछ नहीं पता है। ठेकेदार का नम्बर लो और पूछ लो।

इस प्रकार से गांव वालों की यह शंका कि “जमकर सरकारी धन का बंदरबाट किया गया है” और बलवती होती है। ग्रामीणों की मानें तो सचिव ठेकेदार को काम दिए और आंख बन्द कर भुतान कर दिए। ठेकेदार ने कौन सा काम कितना पूरा किया। मिल बाँट कर खाने के चलते सचिव ने इसको देखना जांचना शायद उचित नहीं समझा होगा। इसी लिए वह ठेकेदार से पूछ लेने की सलाह देते हैं।

जब सचिव द्वारा दिए गए ठेकेदार के नम्बर पर सम्पर्क कर पूछा गया तो ठेकेदार ने बताया कि मैंने कोई कार्य नहीं किया है। मेरा नम्बर गलत दिया गया है।

खण्ड विकास अधिकारी सतीश कुमार पाण्डेय ने बताया-

इस सम्बंध में खण्ड विकास अधिकारी सतीश कुमार पाण्डेय ने बताया कि इसकी जांच करूंगा। यदि मामला सही पाया गया तो कार्यवाही की जाएगी।

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