M.A. M.J.M.C. विगत 20 वर्षाें से पत्रकारिता क्षेत्र से जुडकर समाचार संकलन, लेखन, सम्पादन का कार्य जारी है। शिक्षा, राजनीति व ग्रामीण पत्रकरिता पर विशेष रिपोर्टिंग।

डा. निसार अहमद खाँ, सिद्धार्थनगर। तो इतिहास का एक और पन्ना बना वर्ष 2020 अपने कुछ अनोखे घटनाओं के लिए याद किया जाएगा। माह जनवरी से शादी, विवाह, मेला, यात्रा और न जाने किन किन कार्यक्रमों की तारीखें तय हो चुकी थीं। फिर मार्च में एक दम सब बन्द हो जाएगा। लोग घरों में कैद हो जाएंगे। शायद किसी ने सपने में नहीं सोंचा था। इसके बाद और क्या क्या कष्ट उठाना पडे़गा किसी को आभास नहीं था।

  • कुछ अनोखे घटनाओं के लिए रहेगा याद

वर्ष 2020: बना इतिहास का एक और पन्ना

वर्ष 2020 का मार्च माह जिसमें कोविड-19 महामारी कोरोना वायरस भारत देश सहित दुनिया के 180 मुल्कों में नागरिकों को अपनी गिरफ्त में लिया और लाखों इंसान काल के गाल में समा गए। जबकि लाखों नागरिक इस बीमारी से अस्पतालों एवं घरों पर मौत और जिंदगी से जूझते रहे। कोई स्वस्थ हो गया तो कोई ईश्वर को प्यारा हो गया।

लाॅकडाउन में लगभग 8 माह को नागरिकों ने बड़ी कठिनाइयों के साथ झेला। हर व्यवसायिक प्रतिष्ठान लगभग लगभग बंद हो गए। कल कारखाने ठप पड़े रहे। रेल, हवाई व परिवहन सेवाओं से लोग वंचित रहे, लोग घरों में नजरबन्द रहे। जेल की तरह घरों में इस कदर कैद रहे कि बाहर निकल कर एक कप चाय भी नहीं पी सकते थे। पुलिस का पहरा इस कदर रहा कि लोग चाह कर भी बाहर निकल कर खुली हवा में सांस तक नहीं ले सकते थे। अपने दरवाजे पर नहीं बैठ सकते थे।

बाहर दूसरे प्रदेशों में कमाने खाने वालों को इस कदर समस्याओं का सामना करने पर मजबूर होना पड़ा कि लोग अपने ही वतन में सीधे अपने घर नहीं आ सकते थे। उन्हें 14 दिन कोरेंटाइन सेंटर में काटना पडा।

इसके अलावा लोगों को प्रदेश से घर आने में जहां तक हो सका वह पैदल आदि साधनों से अपने घर आए। जिससे केंद्र और प्रदेश की सरकारों को अन्य राजनीतिक पार्टियों का कोपभाजन बनना पडा।

कोरोना वायरस का भय

लोगों को कोरोना वायरस का भय सताए हुए था। आवश्यक कार्य हेतु लोग बिना मास्क के तथा बिना शारीरिक दूरी बनाए कहीं आ या जा नहीं सकते थे। अगर किसी जरूरत से निकल भी गए तो जुर्माना अलग से भरना पडता था।

कोरोना वायरस ने अपने ही परिवार के सदस्य को जिसको सर्दी, खांसी हो गयी उसे परिवार के दूसरे सदस्यों से अलग थगल करवा दिया। घर में परिवार के अन्य सस्दय 21 दिन उससे दूर रहते थे।

कोरोना वायरस ने अर्थव्यवस्था की कमर को इस तरह से निचोड दिया कि जीडीपी लगभग माइनस 24 तक पहुंच गयी।

गोदी मीडिया ने भी कोरोना कहर बनकर इतना नफरत फैलाया कि लोग सब्जी और फल वालों तक में जाति और धर्म खोजने लगे। जबकि हम सदियों से आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ एक दूसरे के साथ रहते आए हैं। हम एक दूसरे के कार्याें में उसे अपना समझ कर उसकी मदद करते हैं। उसके सुख दुख में शामिल होते हैं।

इधर अनलॉक के बाद धीरे धीरे दिनचर्या सामान्य होने लगी। नवंबर और दिसंबर शादी विवाह के लिए शुभ रहा। अब लोग धीरे-धीरे उबरना शुरू कर रहे हैं। अभी अधिकांश नागरिक कमरतोड़ महंगाई आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं। लोगों का व्यापार मन्द पड गया।

प्रदेश की सरकारें नागरिकों को सहायता पहुंचाने और रोजी रोजगार करने के लिए बहुत सी योजनाएं चला रही हैं। लेकिन उसका फायदा बैंकों से सांठगांठ रखने वालों को तथा उन तक पहुंच बनाने में माहिरों को ही मिलने की चर्चा है। अन्य नागरिक बेवस बने हुए हैं। गरीब तबका से लेकर मध्यम वर्ग तक के लोग अभी भी परेशान हाल हैं। उनकी परेशानियों का समाधान कैसे हो इस पर विचार करने की जरूरत है।

इसी शुभकामनाओं के साथ कि वर्ष 2021 सुख, समृद्धि और खुशहाली से भरा रहे

वर्ष 2021 में क्या होगा? देश की अर्थव्यवस्था कैसे सुदृढ होगी? अभी यह भविष्य के गर्त में ही है। फिर भी लोग यह आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि वर्ष 2021 वर्ष 2020 से अच्छा ही होगा। अन्त में इसी शुभकामनाओं के साथ कि वर्ष 2021 आप के लिए सुख, समृद्धि और खुशहाली से भरा रहे।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.