News Universal, वर्ल्ड कांफ्रेंस दिल्ली में डॉक्टर भास्कर शर्मा ने होमियोपैथी पर दिया व्याख्यान,

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सिद्धार्थनगर। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में रोगों को जड़ से मिटाया जा सकता है। अपने इस कथन की पुष्टि में डॉ. भास्कर शर्मा ने एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस सिससिलेवार विचार प्रकट करते हुए बताया है।

  • डॉक्टर भास्कर शर्मा को कॉन्फ्रेंस में बनाया गया था गेस्ट स्पीकर
  • कॉन्फ्रेंस में 600 से अधिक लोगों ने लिया हिस्सा

क्रॉनिक डिजीज के सफल उपचार के लिए मरीज के वर्तमान हिस्ट्री लक्षणों के विवरण के साथ मरीज के इलाज के पहले दिन से लेकर इलाज पूर्ण होने तक की सभी रिपोर्ट। उपचार का रिकॉर्ड के साथ ही इलाज से पूर्व करायी गयी जांच रिपोर्ट से लेकर रोगमुक्त होने तक की जांच रिपोर्ट अनिवार्य रूप से शामिल करें। क्योंकि यही रिपोर्ट्स वे सबूत होते हैं, जो आप द्वारा किये गये इलाज की सफलता की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि करते हैं।

यह महत्वपूर्ण बातें शर्मा होम्योपैथिक चिकित्सालय एंड रिसर्च सेंटर इटवा सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश के चीफ कंसल्टेंट डॉ भास्कर शर्मा ने हॉलिस्टिक मेडिसिन एंड रिसर्च फाऊंडेशन द्वारा 22 एवं 23 जुलाई 2023 को डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा।

कांफ्रेंस से लौटने के बाद उन्होंने बुधवार को इस बात की जानकारी एक प्रेसविज्ञप्ति में दिया है। आगे बताया कि इस वर्ल्ड लार्जेस्ट कांफ्रेंस में देश भर से आये हुए चिकित्सकों ने अनेक प्रकार के रोगों के इलाज को लेकर अपना मत प्रस्तुत किया।

डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कहा कि होम्योपैथी के दम को साइंटिफिक कसौटी पर खरा साबित करने के लिए रोगी के दस्तावेजों को सबूत के तौर पर रखना होगा। डा. भास्कर शर्मा ने यह भी कहा कि सिर्फ रोगी के कथन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सबूत नहीं माना जा सकता है।

ज्ञात हो कि डॉ भास्कर शर्मा के रिसर्च वर्क का सफर उनकी होम्योपैथी शिक्षा के दौरान ही प्रारम्भ हो गया था।अब तक विभिन्न प्रकार के रोगो में एक्सपेरिमेंटल रिसर्च कर डॉ भास्कर शर्मा देश ही नहीं विदेशों में भी अपने कार्य का लोहा मनवा चुके हैं।

उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि कई रोगी उनके पास किडनी में पथरी की शिकायत लेकर आए हैं। मैंने उसका अल्ट्रासाउंड कराया तो पथरी होने की पुष्टि हुई। उसका उपचार शुरू किया गया।

कुछ दिन बाद आकर रोगी ने कहा कि उसकी पथरी निकल गयी है। उसने एक पत्थर दिखाते हुए कहा कि यह पेशाब में निकला है।

मैंने उससे कहा कि एक अल्ट्रासाउंड करा लीजिये तो मरीज का कहना था कि मुझे अब आराम है। मैं कह रहा हूं तो इसकी क्या आवश्यकता है। इस पर मैंने उस रोगी को अल्ट्रासाउंड जांच का शुल्क देते हुए उससे जांच कराने को कहा।

उसने जांच कराया तो अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में देखा कि पथरी नहीं थी। यह एक वैज्ञानिक सबूत हुआ कि उपचार से पूर्व अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में जो पथरी दिख रही थी। वह अब नहीं है। डॉ. भास्कर शर्मा ने कहा कि इस तरह डॉक्यूमेंटेशन करने के बाद इन्हें प्रतिष्ठित जर्नल में छपवाने के लिए भी आवेदन करें।

इसका लाभ यह होगा कि आपके कार्य को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलेगी। साथ ही चूंकि जर्नल में छपने की इस प्रक्रिया के लिए आपके दावे के दस्तावेजों को दूसरे विशेषज्ञों द्वारा अनेक प्रकार की कसौटी पर परखा जायेगा। जिसके बाद आपकी उपलब्धियों का वह दस्तावेज 24 कैरेट सोने जैसा खरा बन चुका होगा।

कॉन्फ्रेंस में बांग्लादेश, यूके, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, फिलिपींस, कनाडा, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि देशों के चिकित्सकों ने लिया हिस्सा लिया।

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