बढ़नी ब्लॉक के अहिरौला गांव में विश्व सेवा संघ के नेतृत्व में किसानों को प्राकृतिक विधि से कृषि कार्य करने का प्रशिक्षण दिया गया।
वर्तमान में रासायनिक खेती के दुष्परिणामों से मानव जीवन के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यूरिया, डाई, जहर युक्त कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से मानव बीमार होता है। फसल पैदावार धीरे-धीरे मिट्टी ऊष्ण होने की वजह से कम होता है।
महंगे दामों में खादों एवं दवाओं के बिकने के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो पाती है। ऐसे में किसानों के साथ युवा पीढ़ी भी खेती करना छोड़ कर शहरों में पलायन कर रहा है।
यदि किसान खेती कार्य छोड़ना चालू रखा तो मानव जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा। सरकार, कृषि वैज्ञानिक, सामाजिक संगठन को चिंतन करना चाहिए। आखिर किसान क्यों खेती छोड रहे हैं। आज के किसान आत्महत्या तक कर रहे हैं। मों
किसान की समस्याएं बहुत हैं। इन समस्याओं के समाधन के लिए विचार करना होगा कि किस विधि से खेती करें जिसमें लागत कम हो, पैदावार ज्यादा हो, फसल महंगे दामों में बिके, किसानों को बाजार पर निर्भर न होना पड़े। वह विधि है गौ आधारित प्राकृतिक कृषि।
सबल संस्थान के दीनानाथ पाठक ने विस्तार से प्रकाश डाला-
जिसमें बाजार से न खाद, न दवा, न टॉनिक लेना पड़ता है। सब घर पर किसान खुद तैयार कर लेगा। सबल संस्थान के दीनानाथ पाठक ने प्राकृतिक कृषि के चरण और आर्थिक पक्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने ने बताया इसमें एक देशी गाय के गोबर, गौ मूत्र, बरगद जड़ के निचे की मिट्टी, दलहन आटा, लेहशुन, मिर्च, तम्बाकू, नीम, धतूर, शरीफा आदि कुछ आस पास की वस्तओं से खाद, दवा, तोनुक तैयार किया जाता है। कुछ दवाओं को तैयार करने में 40 दिन तक लगता है। शेष 1 सफ्ताह के अंदर तैयार हो जाता है।
विश्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील केसी ने कहा-
विश्व सेवा संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील केसी ने मिट्टी का मूल्यांकन पर कहा है, ह्यूमस से मिट्टी की उर्वरा शक्ति निर्धारित होती है। कितना फसल पैदा होगा। फसल स्वस्थ होगा या नहीं। जैसा मिट्टी में ह्यूमस निर्माण होता है। उससे अनंत करोड़ निर्माण होता है।
यह तभी सम्भव है जब फसल अवशेष और जीवामृत मिट्टी में डाला जाए। प्रकृति का एक नियम है, ह्यूमस की निर्माण जड़ो के पास होगी। क्योंकि जड़ें जीवाणुओं को कच्ची शर्करा देती हैं। यह ह्यूमस 24 घंटे निरन्त चलता रहता है।
ह्यूमस किसी भी फसल के जड़ों का असीम खाद भंडार है। पौधों को सभी तत्व जैसे नाइट्रोजन, पोटाश, फास्फेट, कैल्शियम आदि तत्व को ह्यूमस देता है। भूमि में खाद चक्र, जल चक्र, आग, देशी केंचुए ये 4 स्तर होते हैं।
उन्होंने ने बताया, किसानों को प्रशिक्षण जनपद के ग्राम पंचायत स्तर पर दिया जाएगा। ताकि रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक कृषि से फसल प्रत्येक मनुष्य को मिले। इससे मानव स्वस्थ्य होगा।
किसानों की समस्या समाधान होगा। उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। कई किसानों ने खेती संबंधित समस्या रखा। उसे समाधान भी किया गया। 10 किसान को मॉडल किसान बनाने के लिए चयन किया गया। उन्हें सम्पूर्ण रूप से प्राकृतिक कृषि के लिए आवाहन किया गया।
इस मौके पर मिथलेश सैनी, महेंद्र प्रताप, शिव मनोहर पटेल, आकाश गिरी, रमेश सैनी, अभिषेक शर्मा तिजू, राम जी मिश्रा, भुटकी, राजू पांडेय, बिनय शर्मा, विनय सैनी, विनोद सैनी, हब्बल मिश्रा, ओम प्रकाश यादव आदि लोग मौजूद रहे।